दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे,
लफ़्ज़ तो मैं हूँ मआ'नी दो मुझे।
खो न जाए मुझ में इक बच्चा है जो,
यूँ करो कोई कहानी दो मुझे।
हम-ज़बाँ मेरा यहाँ कोई नहीं,
लाओ अपनी बे-ज़बानी दो मुझे।
है हवा दरकार मेरी आग को,
कब कहा उस ने कि पानी दो मुझे।
एक मंज़िल ने तो 'दानिश' ये कहा,
रास्तों की कुछ निशानी दो मुझे।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें