ढूँढ़ता हूँ (कविता)

पल-पल बदलते रिश्तों में,
प्यार ढूँढ़ता हूँ।
समुन्दर से खारे पानी में,
गंगधार ढूँढ़ता हूँ।।

दुश्वारियाँ बोझिल सफ़र,
हमसफ़र हमराज़ ढूँढ़ता हूँ।
तंग गलियों में गुज़ारा कल,
दीदार-ए-यार ढूँढ़ता हूँ।।

ख़्वाबों में बेपनाह मुहब्बत का,
इकरार ढूँढ़ता हूँ।
बेगानेपन से आहत तड़प,
दिल-ए-यार ढूँढ़ता हूँ।।

चौराहे ज़िंदगी में एकटक,
ख़्वाब-ए-इक़रार ढूँढ़ता हूँ।
चाहे न चाहे तेरी मर्ज़ी,
जटा खोले गंगधार ढूँढ़ता हूँ।।

पल-पल बदलते रिश्तो में,
हमसफ़र, हमराज़ ढूँढ़ता हूँ।
समुन्दर से गहरे खारे पानी में,
पावन जलधार ढूँढ़ता हूँ।।


लेखन तिथि : 1 जून, 2017
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