दीवाली आई (कविता)

दीवाली आई दीवाली आई,
ख़ुशियों की सौग़ात है आई।
घर बाहर हुई ख़ूब सफ़ाई,
दीवारों पर फिर से रंगत आई।
दीवाली आई दीवाली आई।।

खील बताशा लावा लाई आई,
माँ ने दी सबको ख़ूब मिठाई।
खीर पूड़ी पकवान बनाई,
हम सबने मिलकर खाई।
दीवाली आई दीवाली आई।।

फुलझड़ी पटाखा एक न आई,
पापा बोले ये हैं प्रदूषण के भाई।
सब मिल करो इनकी भी सफ़ाई,
इसी में है हम सब की भलाई।
दीवाली आई दीवाली आई।।

दीप जले रात जगमगाई,
अंधकार से नहीं मिताई।
कीट पतंगों पर भी आफ़त आई,
सब मिल चले भाग पराई।
दीवाली आई दीवाली आई।।

बीमारी का ना रहा ठिकाना भाई,
गर्मी गई शरद ऋतु आई।
निकले ऊनी कपड़े और रजाई,
भूषण कहते सुन लो भाई।
तन-मन स्वस्थ बनाने की ऋतु आई,
दीवाली आई दीवाली आई।।


लेखन तिथि : 2020
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