आज मुझे हुआ एहसास,
मैंने किया नहीं प्रयास।
कल तक मैं था बड़ा महान,
आज बन गया हूँ अंजान।
क़िस्मत ने भी छोड़ा हाथ,
केवल असफलता मेरे साथ।
क्या करूँ, मैं किसे बताऊँ,
कौन समझेगा दिल की बात।
आज मुझे हुआ एहसास,
मैंने किया नहीं प्रयास।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।