एहसास (कविता)

मन की बंजर भूमि में दफ़न,
मेरे एहसासों का चमन।
अश्कों की बारिश बेअसर,
शब भर भीगता रहा दामन।

ख़ामोशी ने चादर तानी,
करवट ले घूमती कहानी।
तीरगी-ए-शब में गुमशुदा,
अरमानों पर बिखरा पानी।

नयनों की कोरों से फिसले,
आँसू अपने घर से निकले।
कौन सहेजे यह अश्रु मोती,
रिश्ते नाते सब अब छिछले।

दर्द का एहसास शेष है,
प्रेम का यह अजीब भेष है।
इम्तिहान से हुई सगाई,
जीवन में पसरा कलेश है।

अभिव्यक्ति मेरे भावों की,
पीड़ा अव्यक्त अभावों की।
एहसास जो मृतप्राय हैं,
प्रतिपल पड़े पराभावों की।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 11 दिसम्बर, 2021
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