एक बार प्रिये (गीत)

तुझपे तन मन सब वारु मैं
बस तुझको अपना मानू मैं
जीवन की सारी ख़ुशियाँ कर दूँ तुझपे न्योछार प्रिये
तू कह दे बस एक बार प्रिये
तुझको मुझसे है प्यार प्रिये

तेरी गंधमयी इन ज़ुल्फ़ों में मेरा मन आकार उलझा है
तुमको ही माना रब अपना बस तुमको ही तो पूजा है
तेरा रूप बना है छलिया मृग
अरु सेतु बने है फिर ये दृग
दो रूह एक होने को तब आई है उस पार प्रिये
तू कह दे बस एक बार प्रिये...

जाने वो कौन भाग्यशाली जिसका मन में आदर होगा
माथे का कुमकुम बिंदिया पायल और महावार होगा
कौन बनेगा तेरा अपना
किसका टूटेगा फिर सपना
दे नीति नियति के हाथों में आया करने इज़हार प्रिये
तू कह दे बस एक बार प्रिये...

यह खेद रहेगा जीवन भर कि विशेष नहीं हो पाए हम
थे यमक यमक ही रहे सदा क्यों श्लेष नहीं हो पाए हम
अब जीवन की क्या अभिलाषा है
पर ख़ुद को यही दिलासा है
देखना कौन वो है जिसपर मुझसे ज़्यादा ऐतबार प्रिये


रचनाकार : सुशील कुमार
लेखन तिथि : 1 जनवरी, 2024
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