उलझे हुए बाल,
रूखे ख़ुश्क गाल।
सूनी सी आँखें, 
रोटी का सवाल।
विद्यालय से दूर,
श्रम को मजबूर।
बासी दाल-भात, 
ताड़ना भरपूर।
अरमान दबा कर,
घरों में काम कर।
पिता को थमाती,
कमाई जोड़ कर।
सुखों से अंजान,
उपेक्षित संतान।
भाई-बहन पाले,
हाय नन्ही जान।
जीवन है बेरंग,
अभावों के संग।
माता-पिता रहे,
ग़रीबी से तंग।
स्वप्न कैसे पले,
फ़ुर्सत नहीं मिले।
पूरा दिन खटती,
मन अँधेरे तले।।

 
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