गीत नहीं गाता हूँ (कविता)

बेनक़ाब चेहरे हैं
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ।

लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे-सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ।

पीठ मे छुरी-सा चाँद
राहु गया रेखा फाँद
मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ।


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स्रोत :
पुस्तक : मेरी इक्यावन कविताएँ
पृष्ठ संख्या : 21
सम्पादक : चंद्रिकाप्रसाद शर्मा
प्रकाशन: किताबघर प्रकान
संस्करण: 2017
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