ग़ुस्सा (कविता)

बूँद बराबर बौना-सा भन्नाकर लपका
पैर के अँगूठे से उछला
टख़नों से घुटनों पर आया
पेट पे कूदा
नाक पकड़ कर
फन फैला कर सर पे चढ़ गया ग़ुस्सा!


रचनाकार : गुलज़ार
यह पृष्ठ 245 बार देखा गया है
×


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें