गुरु महिमा (कविता)

गुरु-शिष्य का है प्यारा नाता,
आदि काल से यह सबको भाता।
गुरु हैं देते ज्ञान विलक्षण,
करते अपने शिष्यों का संरक्षण।
शिष्यों का जीवन बने महान,
गुरु हैं रखते इसका हरदम ध्यान।
गुरु हैं ज्ञान शक्ति के सागर,
करते शिष्यों का भाग्य उजागर।
गुरु में बसती शक्ति अपार,
करती शिष्यों का सपना साकार।
गुरु की दौलत सबसे न्यारी,
हर दौलत से है ये भारी।
खरचन से है बढ़ती दूनी,
संचय से हो जाती सूनी।
गुरु की महिमा सबसे न्यारी,
राम-कृष्ण भी इन पर बलिहारी।
गुरु से मिलता है सबको ज्ञान,
करें सदा इनका मान और सम्मान।
नहीं है कोई जग में गुरु समान,
सबसे ऊँचा है इनका स्थान।
भूषण कितना करें गुरु का गुणगान,
गुरु स्वयं हैं जग में ईश समान।


लेखन तिथि : 6 जुलाई, 2020
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