ग्वालिन (कविता)

वह पढ़ती नहीं गाय चराती है
कौन जानता है कि गाय चराती है
इसलिए पढ़ नहीं पाती हो

बाप पिछले साल चेचक से मर गया
माँ को फ़ुर्सत नहीं घर-बार के कामों से
छोटी बहन पढ़ने जाती है सरकारी स्कूल में
छोटा भाई बहुत छोटा है अभी

वह अलस्सुबह निकलती है
गायों को लेकर चरागाह की तरफ़
अपनी चुन्नी में बाँधकर प्याज-रोटी
हाथों में लाठी और पानी का देउड़ा लेकर

अपनी गायों के साथ-साथ में
बस्ती की दो-एक गायें भी चरा लाती है
उसके बदले में मिल जाता है उसे
कुछ नाज-पानी और पैसे

बस्ती के बच्चे उससे पूछते हैं :
“कमली! तू क्यूँ नी पढ़बे जावे”
वह चुप हो जाती है कुछ नहीं बोलती
बस देखती रहती है
अपनी गायों की तरफ़


रचनाकार : विजय राही
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