हड़ताल के गीत (कविता)

जब तक मालिक की नस-नस को हिला न दे भूचाल
जारी है हड़ताल हमारी जारी है हड़ताल
न टूटे हड़ताल हमारी न टूटे हड़ताल

हम इतने सारों को मिल ये गिद्ध अकेला खाता
और हमारे हिस्से का भी अपने घर ले जाता
हक़ माँगें हम अपना तो ये ग़ुंडों को बुलवाता
हम सबका शोषण करने को चले ये सौ-सौ चाल

सावधान ऐसे लोगों से जो बिचौलिया होते
और हमारे बीच सदा जो बीज फूट के बोते
और कि जिनके दम पर अफ़सर-मालिक चैन से सोते
देखेंगे उनको भी जो हैं सरकारी दलाल

सही-सही माँगों को लेकर जब हम सामने आए
इसके अपने सगे सिपाही बंदूक़ें ले आए
जाने अपने कितने साथी इसने ही मरवाए
लेकिन सुन लो अब हम सारे जलकर बने मशाल

जारी है हड़ताल हमारी जारी है हड़ताल
न टूटे हड़ताल हमारी न टूटे हड़ताल


रचनाकार : शैलेन्द्र
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