हमारी राय शुमारी अगर ज़रूरी है।
हमे भी मुल्क की रखनी ख़बर ज़रूरी है।।
हरा भरा हो अदब का चमन हमारा तो,
हमारे घर में सुख़न का शजर ज़रूरी है।
तबीब करता है चारा हमारे ज़ख़्मों का,
दवा के साथ दुआ भी मगर ज़रूरी है।
कि नेक काम में आती हैं अड़चनें अक्सर,
बुलन्द हौसला रखना मगर ज़रूरी है।
मिरे नसीब में शब है अगर अँधेरी तो,
कभी तो रंज-ओ-अलम की सहर ज़रूरी है।
मैं इक जगह पे ही रुक जाऊँ ग़ैर मुमकिन है,
किसी भी सम्त हो लेकिन सफ़र ज़रूरी है।
उसे ये कैसे बताऊँ सुकून-ए दिल के लिए,
है ख़ैरियत से वो ऐसी ख़बर ज़रूरी है।

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