हमीं से दूर जाना चाहता है (ग़ज़ल)

हमीं से दूर जाना चाहता है,
तभी वो पास आना चाहता है।

नई दुनिया बनाई है वहाँ पर,
वही मुझको दिखाना चाहता है।

मुझे मालूम है वो पास आकर,
हँसाकर फिर रुलाना चाहता है।

चुराता आज है नज़रों से नज़रें,
किसी सच को छुपाना चाहता है।

जफ़ा की सब हदों को तोड़कर भी,
वफ़ादारी निभाना चाहता है।

परिंदा रह नहीं सकता अकेले,
नया वो भी ठिकाना चाहता है।


लेखन तिथि : जून, 2021
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