हर चोट पे पूछे है बता याद रहेगी,
हम को ये ज़माने की अदा याद रहेगी।
दिन रात के आँसू सहर ओ शाम की आहें,
इस बाग़ की ये आब-ओ-हवा याद रहेगी।
किस धूम से बढ़ती हुई पहुँची है कहाँ तक,
दुनिया को तिरी ज़ुल्फ़-ए-रसा याद रहेगी।
करते रहेंगे तुम से मोहब्बत भी वफ़ा भी,
गो तुम को मोहब्बत न वफ़ा याद रहेगी।
किस बात का तू क़ौल-ओ-क़सम ले है बरहमन,
हर बात बुतों की ब-ख़ुदा याद रहेगी।
चलते गए हम फूल बनाते गए छाले,
सहरा को मिरी लग़्ज़िश-ए-पा याद रहेगी।
जिस बज़्म में तुम जाओगे उस बज़्म को 'आजिज़',
ये गुफ़्तुगू-ए-बे-सर-ओ-पा याद रहेगी।

अगली रचना
दर्द कब दिल में मेहरबाँ न रहापिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
