हर एक से सुना नया फ़साना हम ने (रुबाई)

हर एक से सुना नया फ़साना हम ने
देखा दुनिया में एक ज़माना हम ने
अव्वल ये था कि वाक़फ़ियत पे था नाज़
आख़िर ये खुला कि कुछ न जाना हम ने


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