हर हाल में आबरू-ए-फ़न लाज़िम है (रुबाई)

हर हाल में आबरू-ए-फ़न लाज़िम है
तक़लीद-ए-फ़सीहान-ए-वतन लाज़िम है
दरयूज़ा-गरी है ऐब सुन लें अहबाब
आप-अपनी ज़बान में सुख़न लाज़िम है


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मज़मूँ मेरे दिल में बे-तलब आते हैं


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