हरियाली तीज (कविता)

यें तीज का आया है प्यारा त्यौहार,
बादलों से बरस रहीं हल्की फुहार।
सात रंग में रंगा है प्यारा आसमान,
चारों और छाया यह बसन्त बहार।।

हरा-भरा हो गया यह सारा जहान,
झूलों का मौसम में ख़ास परिधान।
हरें पत्तों-लताओं से झूला सजाते,
झूला-झूलकर जैसे गगन को छूते।।

मिल-झुलकर तीज का पर्व मनातें,
घेवर व गुजिया सब घरों में बनातें।
परदेशी नव-युवक आतें अपनें घर,
धूमधाम से गीतों के तराने यें गातें।।

कहतें सभी पर्व को हरियाली तीज,
होती प्रेम-मोहब्बत की सदा जीत।
स्त्रियाँ पहनती लहँगा चुनर यें ग्रीन,
प्यारा उत्सव जीत लेता मन-मीत।।

महिलाएँ करती है इस दिन शृंगार,
हाथ में मेहँदी करती व्रत उपवास।
माता गौरी का करतीं है सब ध्यान,
जिससे पूरी होती है सबकी आस।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 6 जुलाई, 2021
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