साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
पश्चिम बर्धमान, पश्चिम बंगाल
1958
तन्हा-तन्हा पेड़ों के साए तले, यादें तुम्हारी लेकर सपने हम बीने।। रुक-रुक के चलना चल-चल के रुकना मुड़ना कभी-कभी, साथ तुम्हारे सागर किनारे उड़ना कभी-कभी, देखो-देखो धरती गगन से मिले।। सदा याद आया है आता रहेगा तेरा-मेरा फ़ासला, आ पास दिल के दुरी मिटा दे बढ़ा दे मेरा हौसला। धीरे-धीरे मंज़िल को चूम लें।।
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