हे भारत माँ के सौम्य दूत (कविता)

हे भारत माँ के सौम्य दूत,
राष्ट्रवाद के अद्भुत सूत्र।
अटल वचन, अडिग थे तुम,
सच के पथ के सच्चे पूत।

तुम्हारी वाणी में सरिता बहे,
हर शब्द से दीपक जले।
संकल्पों से भरा हर कर्म,
तुमसे सजी भारत की गाथा रहे।

हे नीति-नायक, कर्मशील,
तुमसे खिला हर अधीर।
त्याग, तपस्या, प्रेम के प्रतीक,
तुमसे जगा हर अंतर्मन का दीप।

तुम कालजयी, तुम प्रेरणा,
तुमसे जगती हर भावना।
हे अटल, अमर, अद्वितीय व्रत,
रहे युगों तक तुम्हारा जयघोष यथावत।


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