हे नारी! तू कितनी महान,
नहीं जग में कोई तेरे समान।
धर्म, दया, लज्जा का पालन करती,
सबके तन-मन का दुःख हरती,
सदा प्रेम का है करती दान।
हे नारी! तू कितनी महान,
नहीं जग में कोई तेरे समान।
माँ बनकर जीवन देती, बेटी बन मुस्कान,
भगिनी बनकर मंगल करती,
पृथ्वी पर है ईश्वर का वरदान।
पत्नी बन सर्वस्व समर्पित करती,
जीवन के हर क्षण को सुखमय करती,
नहीं करती कभी किसी का अपमान।
हे नारी! तू कितनी महान,
नहीं जग में कोई तेरे समान।
सबको सहज अपनाने वाली,
अपनापन का एहसास दिलाने वाली,
पालन-पोषण का भार उठाने वाली,
जीवन में ख़ुशियाँ बरसाने वाली,
सचमुच तू है पृथ्वी पर दयानिधान।
हे नारी! तू कितनी महान,
नहीं जग में कोई तेरे समान।
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