हम अलग सी एक ख़ुशबू जानते हैं (ग़ज़ल)

हम अलग सी एक ख़ुशबू जानते हैं
हैं बरहमन और उर्दू जानते हैं

काम चुप रह के किया करते हैं लेकिन
रात के सब राज़ जुगनू जानते हैं

ख़ामुशी से आ गिरे दामन पे अक्सर
दर्द की शिद्दत को आँसू जानते हैं

क्यों महकता है चमन आमद से तेरी
फूल भी क्या तेरी ख़ुशबू जानते हैं

अर्ज़ियाँ कब रोकना है कब बढ़ाना
ये हुनर दफ़्तर के बाबू जानते हैं

मुश्किलों में मुस्कुरा के जीने वाले
फिर यक़ीनन कोई जादू जानते हैं


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