हम कहाँ हैं ये पता लो तुम भी (ग़ज़ल)

हम कहाँ हैं ये पता लो तुम भी
बात आधी तो सँभालो तुम भी

दिल लगाया ही नहीं था तुम ने
दिल-लगी की थी मज़ा लो तुम भी

हम को आँखों में न आँजो लेकिन
ख़ुद को ख़ुद पर तो सजा लो तुम भी

जिस्म की नींद में सोने वालों
रूह में ख़्वाब तो पालो तुम भी


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