इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे (ग़ज़ल)

इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे,
ज़िंदगी देख कोई बात अधूरी न रहे।

बादलों की तरह आए हो तो खुल कर बरसो,
देखो इस बार की बरसात अधूरी न रहे।

मेरा हर अश्क चला आया बराती बन कर,
जिस से ये दर्द की बारात अधूरी न रहे।

पास आ जाना अगर चाँद कभी छुप जाए,
मेरे जीवन की कोई रात अधूरी न रहे।

मेरी कोशिश है कि मैं उस से कुछ ऐसे बोलूँ,
लफ़्ज़ निकले न कोई बात अधूरी न रहे।

तुझ पे दिल है तो 'कुँवर' दे दे किसी के दिल को,
जिस से दिल की भी ये सौग़ात अधूरी न रहे।


रचनाकार : कुँअर बेचैन
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