इश्क़ के रस्तों पर शे'र कहेंगे,
आज हसीनों पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र क़यामत का होगा तो हम,
उसकी अदाओं पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र हुआ गर मय-कदे का तो फिर,
उसकी आँखों पर शे'र कहेंगे।
गर होगा ज़िक्र मुहब्बत का तो,
उसकी वफ़ाओं पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र शब-ए-मय का होगा तो हम,
हसीन चेहरों पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र अगर कलियों का होगा तो,
उसके होंठों पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र हुआ गर शीशमहल का तो,
उसकी बाहों पर शे'र कहेंगे।
ज़िक्र किया ख़ुशबू का किसी ने तो,
उसकी साँसों पर शे'र कहेंगे।
गर ज़िक्र हुआ काली रात का तो,
उसके गेसुओं पर शे'र कहेंगे।
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