साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3571
आगरा, उत्तर प्रदेश
1797 - 1869
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही, मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही।
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें