साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
आगरा, उत्तर प्रदेश
1797 - 1869
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही, मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही।
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