साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सीतामढ़ी, बिहार
1996
इश्क़ तो इश्क़ है सब को इश्क़ हुआ है, इस क़दर कुछ न हुआ जो इश्क़ हुआ है।
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