जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो (ग़ज़ल)

जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो
ठहरो ठहरो दिल तो ठहरे मुझ को होश में आने दो

पाँव निकालो ख़ल्वत से आए जो क़यामत आने दो
सय्यारे सर आपस में टकराएँ अगर टकराने दो

बादल गरजा बिजली चमकी रोई शबनम फूल हँसे
मुर्ग़-ए-सहर को हिज्र की शब के अफ़्साने दोहराने दो

हाथ में है आईना ओ शाना फिर भी शिकन पेशानी पर
मौज-ए-सबा से तुम न बिगड़ो ज़ुल्फ़ों को बल खाने दो

कसरत से जब नाम-ओ-निशाँ है क्या होंगे गुमनाम 'सफ़ी'
नक़्श दिलों पर नाम है अपना नक़्श-ए-लहद मिट जाने दो


रचनाकार : सफ़ी लखनवी
  • विषय : -  
यह पृष्ठ 342 बार देखा गया है
×

अगली रचना

तड़प के रात बसर की जो इक मुहिम सर की


पिछली रचना

कोई आबाद मंज़िल हम जो वीराँ देख लेते हैं
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें