जगत जननी अम्बे माँ (कविता)

ऐ माँ सुन ले आज मेरी गाथा तू।
इतना भी बुरा दिन ना दिखाना, जिसे मैं सह ना सकूँ।

इतनी बुद्धि दे हमें, जो अपने सारे ग़मों को भुला दूँ।
ख़ुश रहूँ मैं सदा हर सुबह शाम तेरा हीं नाम लूँ।

जो चाहूँ वो मिले मुझे थोड़ी कृपा बरसा दे माँ,
भला करूँ मैं सभी का बस यही ग्यान दे हमें।
तू है, सबकी माँ पुजा करे हम सभी तुम्हें।

माते हम हैं अज्ञानी, तू हम में ज्ञान की प्रकाश भर दे,
अज्ञानता का अंधकार मिटाकर ज्ञान की रौशनी फैला दे।

देना हमें ओ अम्बे इतनी शक्ति मैं डरूँ न किसी से,
परिस्थतियाँ कभी हराए न मुझे, सामना करूँ मैं डट के।

ओ जगत जननी मेरी मेहनत तू कभी व्यर्थ जाने न देना,
करूँ मैं नेकी हमेशा बस यही बुद्धि देना।

भुल हुई हो हमसे अगर कोई भुल से,
ओ मेरी माँ क्षमा करना मेरी भुल तू।
इतना भी दुःख न देना जिसे मैं सह ना सकूँ।
ऐ माँ सुन ले आज मेरी गाथा तू।
ऐ माँ सुन ले आज मेरी गाथा तू।


रचनाकार : मोनी रानी
लेखन तिथि : 14 जनवरी, 2021
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