हिमगिरि से बहता पानी
नदियों की कल कल ध्वनियाँ
मन देख देख हर्षाता
बागों की कुसमित कलियाँ
आनन्द भाव भर मन में
गाथा जिसकी जग गाता
जय जय हो भारत माता
जय जय हो भारत माता
होते प्रभात वसुधा पर
सूरज डाले जहाँ डेरा
वृक्षों की हरी टहनियों
पर पंक्षी करें बसेरा
हर एक पुत्र का अपनी
माता से सच्चा नाता
जय जय हो भारत माता
जहाँ बच्चे बचपन से ही
सिंहों के संग में खेलें
जहाँ सात महारथियों से
लड़ जाता वीर अकेले
जिस वसुधा का उस रब से
सदियों सदियों का नाता
जय जय हो भारत माता
अब्दुल शेखर व भगत सिंह
की इसमें मिली जवानी
बापू बोस बहादुर नेहरू
की है अमर निशानी
हिंसा व अहिंसा से मिल
बनी है पावन गाथा
जय जय हो भारत माता
कितनी कठिनाई झेले
फिर भी है हार न मानी
अर्णव को हमने थाहा
तूफ़ानों से हठ ठानी
उस मंगल पर तुम देखो
भारत का भाल सुहाता
जय जय हो भारत माता
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