घर की रौनक और परिवार की शान है बेटियाँ,
माँ बाप की पहचान और अभिमान है बेटियाँ।
बिना जिसके वीरान खंडहर सी है ये दुनियाँ,
धरा को बनाती ख़ूबसूरत गुलिस्तान है बेटियाँ।।
बेटियों को मत बाँधो रस्मों रिवाजों की ज़ंजीरों से,
उनको भी पलने दो बेटों के जैसी तक़दीरों से।
मत रोको इन्हें खुले आसमाँ में परवाज़ करने दो,
उनका भी हक़ है आसमाँ पर उन्हें राज करने दो।
जननी है, जीवन की अमिट पहचान है बेटियाँ।।
रोक दो उन रस्मों को जो पराया इन्हें बनाता है,
अधिकार दोनों जहाँ का क्यूँ नहीं मिल पाता है?
बेटियाँ ही क्यों अपने माँ बाप से विदा लेती है,
बड़ी पीड़ा होती है जब बेटियाँ जुदा होती है।
माता का दिल और पिता की जान है बेटियाँ।।
आइए आज हम सब मिलकर संकल्प नया लें,
सारे जहाँ की बेटियों को ख़ुशनुमा जहाँ दें।
उनको परवाज़ करने को सुरक्षित आसमाँ दें,
सब मिलकर इस दुनिया को ख़ुशहाल बना दें।
कमज़ोर नहीं असीम शक्तियों की नाम है बेटियाँ।।
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