कुछ लोग
जीवन भर
कुछ किताबों को
इतना बाँचते हैं
इतना बाँचते हैं
कि उनमें लिखे
कुछ ज़िंदा शब्दों का भी
दम निकल जाता है।
कुछ और लोग हैं
जो कुछ किताबों को
इतना पढ़ते हैं
इतना पढ़ते हैं
कि उनमें लिखे शब्द
उनके भीतर
इस तरह घुस जाते हैं
वे ख़ुद मर जाते हैं।
कुछ लोग और भी हैं
किताबों को
ऐसे पढ़ते हैं
जैसे किसान अपने बीजों को
बोने से पहले
भिगो लेते हैं पानी में
उन्हें ही डालते हैं खेतों में
जो बैठ जाते हैं तले में
तैरने वालों को
खिला देते हैं जानवरों को
उनके जीवन में किताबें
फ़सलों की तरह लहलहाती रहती हैं।
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