जीवन से लुप्त दयानत है,
उपदा पाने की उज्लत है।
कितनी बार उन्हें समझाया,
पर उनकी भद्दी आदत है।
हथियारों की होड़ लगी है,
कैसा मधुमास क़यामत है।
जीवन का संचार करेगी,
ईश्वर की ख़ूब इबादत है।
अँधियारा झुग्गी के हिस्से,
रूठ गई उसकी क़िस्मत है।
धज्जी उड़ती है नियमों की,
ऐसों की आज मलामत है।

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
