जीवन से लुप्त दयानत है,
उपदा पाने की उज्लत है।
कितनी बार उन्हें समझाया,
पर उनकी भद्दी आदत है।
हथियारों की होड़ लगी है,
कैसा मधुमास क़यामत है।
जीवन का संचार करेगी,
ईश्वर की ख़ूब इबादत है।
अँधियारा झुग्गी के हिस्से,
रूठ गई उसकी क़िस्मत है।
धज्जी उड़ती है नियमों की,
ऐसों की आज मलामत है।
लेखन तिथि : 19 अप्रैल, 2022
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अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22 22 22 22