साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बस्ती, उत्तर प्रदेश
1957
उठाया ही था पहला कौर कि पगहा तुड़ा कर भैंस भागी कहीं और पहुँचा ही था खेत में पानी कि छप्पर में आग लगी बिटिया चिल्लानी आरंभ ही किया था गीत का बोल कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल घी का था बर्तन और गोबर की घानी पानी जैसी चाय पी, चाय जैसा पानी एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ यही सारा जीवन-वृत्तांत रहा दीनानाथ!
अगली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें