साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
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बस्ती, उत्तर प्रदेश
1957
उठाया ही था पहला कौर कि पगहा तुड़ा कर भैंस भागी कहीं और पहुँचा ही था खेत में पानी कि छप्पर में आग लगी बिटिया चिल्लानी आरंभ ही किया था गीत का बोल कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल घी का था बर्तन और गोबर की घानी पानी जैसी चाय पी, चाय जैसा पानी एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ यही सारा जीवन-वृत्तांत रहा दीनानाथ!
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