साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3481
इटावा, उत्तर प्रदेश
1925 - 2018
जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा। जितनी भारी गठरी होगी, उतना तू हैरान रहेगा। उस से मिलना ना-मुम्किन है, जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा। हाथ मिलें और दिल न मिलें, ऐसे में नुक़सान रहेगा। जब तक मंदिर और मस्जिद हैं, मुश्किल में इंसान रहेगा। 'नीरज' तू कल यहाँ न होगा, उस का गीत विधान रहेगा।
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