ज्योत से ज्योत जगाते चलो (गीत)

ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा...

आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा...

छाई है छाओं और अँधेरा भटक गई हैं दिशाएँ
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएँ
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा...

ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सब को गले से लगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो...

कौन है ऊँचा कौन है नीचा सब में वो ही समाया
भेद भाव के झूठे भरम में ये मानव भरमाया
धर्म ध्वजा फहराते चलो, प्रेम की गंगा...

सारे जग के कण कण में है दिव्य अमर इक आत्मा
एक ब्रह्म है एक सत्य है एक ही है परमात्मा
प्राणों से प्राण मिलाते चलो, प्रेम की गंगा...


रचनाकार : भरत व्यास
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चलचित्र: संत ज्ञानेश्वर (१९६४)
निर्देशक: मणिभाई व्यास
निर्माता: रँगलोक
अभिनेता: सुधीर कुमार, सुरेखा, बबलू, साहू मोदक
गीतकार: भरत व्यास
गायक: लता मंगेशकर
संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल


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