साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3563
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
फूलों को घाव मिले काँटों को ताज। पुष्पित पल्लवित हो गया फ़रेब। अब विशेष गुण हो गया है ऐब।। पंछी भी भूल गए भरना परवाज़। मँझधार में फँसने लगी नाव। जीवन में आ गया है बिखराव।। सपनों के माँडव पर गिरती है गाज। ख़ुशियों की महफ़िलें ग़मगीन हैं। मावस की रातें क्यों हसीन हैं।। पड़ती है खोखली सुरीली आवाज़।
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें