कड़वी बात न बोलिए (दोहा छंद)

कड़वी बात न बोलिए, हो जाते हैं घाव।
मधुर वचन बोलें सदा, पार लगेगी नाव।।


लेखन तिथि : 30 जुलाई, 2021
यह पृष्ठ 243 बार देखा गया है
×

अगली रचना

पर्यावरण और गाँव


पिछली रचना

दंभ न कर तू जाति का
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें