कहो जो है दिल में बात, उनके पयाम से पहले,
मत सोचो मोहब्बत में कुछ भी अंजाम से पहले।
दिल की बात दिल में न रह जाए हसरत बनकर,
जी ले तू भी ज़िंदगी होने फ़ना तमाम से पहले।
सोचता हूँ चुपचाप से पा लूँगा तुम्हें पर अफ़सोस,
इश्क़ हासिल न हुआ कभी चर्चा-ए-आम से पहले।
पीने को पीले पूरा मयकदा तेरे नीश-ए-'इश्क़ में,
रूमानियत नहीं गर ना हो साक़ी हर जाम से पहले।
मुद्दत से तलाशता 'सुराज', हो बशर कोई दिल्लगी को,
हंगामा हर बार हुआ, आने को ज़ुबाँ पर नाम से पहले।
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