करो तैयारी (कविता)

रात चाँदनी बीत चुकी
कठिन राह पर जाना है,
गहरे सागर में छिपे
मोती का पता लगाना है।
जीवन के इस सरगम से
संगीत नया बनाना है,
निन्द्रा अपनी त्याग कर
नए प्रभात में जाना है।
अपने कष्टों को हँसकर सह लो
यदि उपवन मधुर सजाना है,
आशीष बड़ों का लेते जाओ
तुम्हें जीवन सफल बनाना है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 15 अप्रैल, 2005
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