खेल (कविता)

अंतरिक्ष के मैदान में
उड़ती पृथ्वी की फ़ुटबाल
इसे ठोकर मारते हैं
कुछ एटमी-पाँव

स्टेडियम की तालियाँ हाहाकार में बदलने वाली हैं

एक फूल
चुपचाप कहीं खिलना चाहता है
एक चिड़िया
शाम से पहले अपना घोंसला पूरा कर डालना चाहती है
घर की रसोई में
खड़क रहे हैं बर्तन
लोग
पवित्र नदियों में डुबकियाँ लगा रहे हैं
हर दृश्य
एक पुरानी इबारत है

बस एक नई बुलेट-ट्रेन
भविष्य में सोए हुए बच्चों को चीर कर आगे बढ़ रही है
अज्ञात स्टेशन की तरफ़


रचनाकार : हेमन्त शेष
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