साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
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दिल्ली, दिल्ली | 1938 - 2016
घास पर खेलता है इक बच्चा पास माँ बैठी मुस्कुराती है मुझ को हैरत है जाने क्यूँ दुनिया काबा ओ सोमनात जाती है
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