लागी जबसे लगन,
खोजे कृष्णा को मन।
चैन मिलता नहीं,
तुझे ढूँढ़ूँ वन-वन।
जीवन की यही आस,
तुझसे मिलन की बुझे न प्यास।
तू तो जाने है सबकी
हे कृष्ण मुरारी,
कब से तेरे द्वारे खड़ा हूँ,
कब आएगी मेरी बारी?
ओ देवकी नंदन!
तू है जग बंदन।
कृपा के सागर
अब तू ही बता,
तेरे दर्शन को मेरी अँखियाँ
क्या तरसेगी उम्र सारी?
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