ख़ुशी तो हमेशा पलों के लिए है,
ग़ज़ल शायरी दिलजलों के लिए है।
जहाँ रोज़ रिश्ते पराए हुए हैं,
सुभीता रही तो खलों के लिए है।
यहाँ पर अदालत दिखावा हुई है,
सभी राजनीतिक दलों के लिए है।
मही को बशर ने खिलोना बनाया,
हमारी धरा जलजलों के लिए है।
परीक्षा दिया है हमीं ने हमेशा,
प्रतीक्षा करी जो फलों के लिए है।
सुरक्षा व्यवस्था जहाँ भी लचर है,
समझ लो कि शासन बलों के लिए है।
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