ख़्वाहिश का उठे जनाज़ा है (गीतिका)

ख़्वाहिश का उठे जनाज़ा है,
ख़बर अख़बार की ताज़ा है।

मूल सूद चुकता है फिर भी,
बेजा है चूँकि तक़ाज़ा है।

हम समझे उन्हे बे-अदब थे,
नेमत ने जिन्हें नवाज़ा है।

एक कफ़न भी जुटा न पाया,
दुनिया में ख़ूब अवाजा है।

लुप्त बन्धु-बांधव औ रिश्ते,
लोगों से दूर तवाजा है।


लेखन तिथि : 8 सितम्बर, 2021
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