साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3549
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
ख़्वाहिश का उठे जनाज़ा है, ख़बर अख़बार की ताज़ा है। मूल सूद चुकता है फिर भी, बेजा है चूँकि तक़ाज़ा है। हम समझे उन्हे बे-अदब थे, नेमत ने जिन्हें नवाज़ा है। एक कफ़न भी जुटा न पाया, दुनिया में ख़ूब अवाजा है। लुप्त बन्धु-बांधव औ रिश्ते, लोगों से दूर तवाजा है।
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें