साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बेगूसराय, बिहार
1962 - 2020
किसी किसी की कमाल दुनिया बसी हुई है विशाल दुनिया उड़ेगी चिड़िया उड़ान भर कर इधर करेगी वबाल दुनिया बढ़े सफ़र में सँभल सँभल जो उसी की होती निहाल दुनिया क़दम क़दम पर यहाँ दलाली बनी है जैसे दलाल दुनिया हमीं ने ख़ूँ से चमन को सींचा हमें ही करती हलाल दुनिया
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