इन किताबों की शख़्सियत,
तो देख लो जनाब।
बस ख़ामोशियाँ वजूद में,
पर ज़ेहन में है इंक़लाब।
ना बोलकर भी बोल देतीं,
हर सवालों के जवाब।
क्या सही है क्या ग़लत है,
दामन में हैं सारे हिसाब।
ये सिखाती हैं बहुत कुछ,
पुन्य क्या है क्या अज़ाब।
ज्ञान की गंगा इन्ही में,
सबक़ भी हैं बेहिसाब।
इश्क़ कर लो यार इनसे,
फिर बनोगे कामयाब।
इन किताबों की शख़्सियत,
तो देख लो जनाब।
बस ख़ामोशियाँ वजूद में,
पर ज़ेहन में है इंक़लाब।
इनकी शोहबत से मिलेगा,
नूर जैसे आफ़ताब।
दोस्त इनको तुम बनालो,
हो न पाओगे ख़राब।

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