साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
इन्दौर, मध्य प्रदेश
1946 - 2009
कितनों ने उपकृत किया कितनों ने अनदेखा फिर भी जीवन रहा वैसा ही अकारथ ख़ुद के भीतर से आए कोई गीत मन ही मन सूझे कोई मज़ाक़ हाथ आए छूटता हुआ यह माघ मास सोचते धीरज धरते गुज़री लगभग आधी सदी अब देखें औरों को उनकी कोशिशों की जय-पराजय में तब्दील करें अपने सुख-दुःख अपनी जीवनी समेटकर औरों की तरह भारतवासी बनें।
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