कोशिश कर (कविता)

ऐ मनुज! तू आगे बढ़
राहों में बाधा से ना डर
लक्ष्य के सफ़र पर चल
तुझमें है सफलता पाने का बल
चल आगे बढ़ तूफ़ाँ से ना डर
जिन्हें सपने पाने हैं
बन जाते वे दीवाने हैं
इन कटीली राहों से ना डर
लक्ष्य को पाने की कोशिश कर।

सफर में अटक मत
लक्ष्य पाने प्रयासरत
राह न मिलती, नई बना
ख़ुद को इस, क़ाबिल बना
इस तरह बीच राह में रुक कर
इन कटीली राहों से ना डर
लक्ष्य को पाने की कोशिश कर।

जब तक मंज़िल ना पाएगा
तुझे दुनिया जान ना पाएगा
देख उफनती नदी को
राह नहीं बदलती है
जब तक ना पहुँचे समुद्र
अनवरत चलती है
अपने अंदर हौसला भरकर
इन कटीली राहों से ना डर
लक्ष्य पाने की कोशिश कर।

कहीं सवेरा, कहीं रात है
तेरे इम्तिहान की बात है
गुज़र जा इस रास्ते से
दुनिया बदलेगी तेरे वास्ते
तब तक झुकना नहीं
जब तक मंजिल मिले नहीं
ख़ुशहाल होगा जीवन भर
इन कटीली राहों से ना डर
लक्ष्य पाने की कोशिश कर।


रचनाकार : समय सिंह जौल
लेखन तिथि : 7 फ़रवरी, 2022
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