क्या सोच रहे हो? (उद्धरण)

अकेले बैठना, चुप बैठना—
इस प्रश्न की चिंता से मुक्त होकर बैठना कि
‘क्या सोच रहे हो?’—यह भी एक सुख है।


रचनाकार : अज्ञेय
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